सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

मंत्री मूणत की मूर्खता


एक तरफ साल भर बाद होने वाली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा सरकार फंूक-फूंक कर कदम उठा रही है वहीं प्रदेश सरकार के उद्योग मंत्री बार-बार ऐसी गलती कर रहे है जिससे पार्टी को गंभीर परिणाम भुगताने पड़ सकते है । ताजा मामला नगर निगम मुख्यालय के सामने सिटी बस उढ़घाटन समारोह का है । कहते हैं पुरानी आदतें नहीं जाती और राजनीति में धैर्य जरूरी है यही वजह है कि जैसे ही मंत्री मूणत को विरोध कर रहे कांग्रेसियों से धक्का लगा उनका धैर्य जाता रहा और भाजयूमों की राजनीति उबाल मारने लगी और लगे बकने-झकने । इस दौरान उन्हौंने इस बात की परवाह भी नहीं की कि उनके इस गाली गलौज से न केवल उनका बल्कि पार्टी को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है ।
समुद्र सिंह की सुरसुरी
संविदा पर नियुक्त आबकारी विभाग के ओ एस डी क्या ठाकुर राज की वजह से नौकरी पर बने हुए हे यह तो मुख्यमंत्री ही जाने लेकिन जिस तरह से सरकार उन पर  मेहरबान है वह देखते ही बनता है । संविदा पर काम करने के बावजूद परमिट से लेकर आबकारी ठेके के महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर उनके हस्ताक्षर होते है जिन पर नियमानुसार केवल पूर्ण कालिक असफरों के ही दस्तखत होते है । अब ये दस्तावेज अवैध माने जाने चाहिए लेकिन उनका दावा है कि ठाकुर राज में उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि  लक्ष्मी की कृपा तो सभी को चाहिए ?
रमन भी सपनों का सौदागर ...
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने स्वयं को सपनों का सौदागर कहा था इन दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी सपनों का सौदागर बन रहे हैं । कालिख पूते चेहरे में चमक के लिए नई राजधानी को चमकाने में लगे है । देश भर के उद्योगतियों के सामने उन्होंने अपने सपने की राजधानी को चमकाने में लगे है। देश भर के उद्योगपतियों के सामने उन्होंने  अपने सपने क ी राजधानी को दिखाने पूरा ताम झाम किया। रोगदा बांध से लेकर जमीन पाताल को उद्योगों के लिए खोलने का सपना पूरा करने उन्होंने जिस तरह से इन्वेस्टर मीट का आयोजन में करोडों फूं के उसे असली जाया पहनाने की कोशिश में आगे उद्योगों को और सुविधा देने का सपना भी देखा जा रहा है।
वीसी का विलाप
कभी अविभाजित मध्यप्रदेश ही नहीं के न्द्र की राजनीति में प्रभावशाली माने जाने वाले कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल इन दिनों अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। यही वजह है कि वे अपनी अहमियत साबित करने कभी दौरा करते हैं तो कभी पार्टी के पदाधिकारियों से गलबहियां करते है। पिछले दिनों तो वे कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल को कांग्रेसी मानने से ही मना कर जिंदल के खिलाफ बिगुल फूं क दिया यह अलग बात है कि उन्हें रायगढ़ से उल्टे पांव लौटना पड़ा। रायगढ़ में हुए विरोध से वी सी की राजनीति में क्या फर्क पड़ेगा यह कठिन है लेकिन अब वे अजीत जोगी के भाषण को लेकर नाराज है।
बृजेन्द्र की बहादूरी.......
मुख्यमंत्री सचिवालय से लेकर आवास तक अपनी मजबूत पकड़ के लिए चर्चित बृजेन्द्र कुमार से भले ही पत्रकार नाराज चल रहे हो लेकिन उनकी सेहत में हमसे कोई फर्क नहीं पड़ता। जनसंपर्क की अपने खासियत यह है वे विपरित परिस्थितियों में भी माहौल अपने पक्ष में कर लेते हैं अब वे नई राजधानी के नये मंत्रालय के उस सबसे बड़े कक्ष में बैंठेंगे जिसे पहले मुख्यमंत्री के लिए बनाया गया था। लेकिन वास्तु के खेल ने मामला बिगाड़ दिया और मुख्यमंत्री को यह बड़ा कक्ष की बजाय बृजेन्द्र कुमार वाले कक्ष में बैठना पड़ रहा है।

चौबे की चौधराहट...
कहते है राजनीति में सब कुछ संभव है तभी तो कभी अजीत जोगी के खास अजीज रहे छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे का जोगी से छत्तीस का आंकड़ा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद विधान सभा में कांग्रेस दल को अपने हिसाब से चलाने की कोशिश में प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल से भी उनकी भिडं़त जग जाहिर है अब उनकी महत्वाकांक्षा ने एक बार फिर उड़ान भरनी शुरू कर दी है ऐसे में उनकी चौधराहट की चर्चा कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं से भी सुनी जा सकती है।

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