सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

सरोज की सनक


छात्र राजनीति से भाजपा की राजनीति करते हुए संसद की सीढ़ी चडऩे वाली दुर्ग की सांसद सरोज पाण्डे की सनक तो छिंदवाड़ा के बहुचर्चित उस चुनाव में ही सामने आ गई थी जिसमें कमलनाथ व सुन्दरलाल पटवा का मुकाबला था । लेकिन पिछले दिनों टोल प्लाजा पर उनका गुस्सा फूट पड़ा और उसके चढ़ते पारे की चर्चा गली मोहल्ले तक जा पहुंची और अब गली को ही कब्जा करने को लेकर उनकी सनक फिर सुर्खियों में है। सौदान सिंह खेमें की इस युवा नेत्री से वैसे तो अच्छे-अच्छे खौफ खाते है  । यही वजह है कि उनके सड़क कब्जे को लेकर जिला प्रशासन ही नहीं आम आदमी भी खामोश रह गये लेकिन एक स्कूली छात्रा ने जिस तरह से हिम्मत दिखाई है उससे सरोज पाण्डे के कारनामें सामने आ गए । अब देखना है कि वह खुद सड़क का कब्जा छोड़ती है या जिला प्रशासन इस कब्जे को तुड़वाता है वरना 2014 में जनता कुछ और ही कुछ छुड़वा देगी ।
सैया भये कोतवाल
तब बिरजू काहे डरें ...
26/11 को पाकिस्तानी गायक के कार्यक्रम को लेकर पार्टी में बृजमोहन अग्रवाल विरोधी लाम बंद हो गए है । इस आयोजन से पार्टी की हो रही थू-थू की शिकायत संघ से कर दी गई है लेकिन बिरजू ऐसी शिकायतों की परवाह करते तो आयोजन ही नहीं करते वैसे भी उनकी शैली  पार्टी से अलग है और जब बड़े भाई गोपाल अग्रवाल ही रायपुर में संघ को संभाल रहे हो तो भला उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है । आखिर संघ प्रमुख मोहन भागवत को भी तो गोपाल ही चाहिए ।
कहीं पे निगाहें
कहीं पे निशाना
अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ रहे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के साथ जन समर्थन भरपुर है लेकिन राजनीति में यह जरूरी नहीं है । खासकर कांग्रेस की राजनीति तो जन समर्थन नहीं हाईकमान से चलती है आपके साथ कितनी भी जनता हो यदि हाई कमान नहीं तो कोई मतलब नहीं ऐसे में गुस्सा बाहर आया स्वाभाविक है और धमतरी के व्यंग्य को इसी रूप में देखा जा रहा है । अब होरा को भी सोचना होगा कि ज्यादा महंत-महंत का अलाप से फायदा है या नुकसान ।
घर के जोगी ...
छत्तीसगढ़ वालों के लिए भले ही रायपुर के सांसद रमेश बैस घर के जोगी जोगड़ा हो लेकिन भाजपा की केन्द्रीय राजनीति में उनकी दमदारी का लोहा मानने वालों की कमी नहीं है भले ही उनके सांसद बनने को लेकर मजबूरी का नारा लगता रहा हो लेकिन दिल्ली में तो उन्हें दमदार ही माना जाता है आखिर दमदार क्यों न हो । छत्तीसगढ़ की राजनीति के सबसे ताकतवर वीसी शुक्ल व श्यामाचरण शुक्ल को लाख-लाख भर से हराने के अलावा वे 6 बार सांसद है ।
वीसी फिर घेरे में...
यह तो मेरी मर्जी वाली बात है वरना जब कांग्रेस के सब नेता भाजपा की करतूतों का विरोध कर रहे है और छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता विधाचरण शुक्ल ऐसे आयोजन में नहीं जाते जो विवादास्पद होने के साथ-साथ भाजपा के मंत्री परिवार द्वारा आयोजित है वह भी 26/11 के दिन, जब समूचा देश मुंबई में हुए शहीदों को श्रृधंजलि दे रहा हो । ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि बृजमोहन की जीत में कांग्रेस के नेताओं का कितना प्रभाव रहता है ।

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