सोमवार, 4 मार्च 2013

ननकी का निशाना ...


कभी आदिवासी मुख्यमंत्री का अभियान चलाने वाले प्रदेश के गृह मंत्री ननकी राम कंवर भले ही परिस्थितिवश अपनी मुहिम से पीछे हट गए हो लेकिन समय समय पर उनका गुस्सा बाहर आ ही जाता है । कभी एसपी को निकक्मा और कलेक्टर को दलाल कह कर वे मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हैं तो कभी  शराब ठेकेदार से नजदीकी की वजह से थाने बिकने की बात कहकर प्रहार करते हैं । इस बार वे नये वर्ष के बहाने अपने गुस्से को बाहर निकालने से नहीं चुके । बकौल ननकी राम कंवर हम तो नया वर्ष चैत्र प्रतिपदा को मनाते है ।
ऐसे में इस बार उनके निशाने पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह थे या बृजमोहन अग्रवाल यह तो वही जाने क्योंकि दोनों ही मंत्री नया साल मनाने बाहर गये थे ऐसे में उन्होंने नया वर्ष की परिभाषा देकर सरकार के हिन्दुत्व पर सवाल तो उठाये ही हैं । आने वाले दिनों के लिए नया सवाल भी खड़ा किया है ।
रमन की परेशानी ...
कहते हैं काले रंग पर कोई और रंग नहीं चढता तभी तो प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कोयले की कालिख को पोछ नहीं पा रहे है और दूसरी मुसिबत शिक्षा कर्मी के रूप में शुरू हो गई है । दिक्कत यह है कि वे संविलियन के संकल्प से इसलिए भी अपने को अलग नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि संविलियन का संकल्प भी उनके ही अध्यक्षीय कार्यकाल में लिया गया था । इसलिए वे बेहद परेशान है तभी तो इन दिनों वे मंदिरों का चक्कर लगा रहे हैं । देखना है भगवान उनकी सुनते है या शिक्षा कर्मियों की ।
बिरजू की नई उलझन ....
कहा जाता है कि जैसे ही गुजरात के नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की चर्चा होती है प्रदेश के दमदार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है । भले ही भाजपा के लोग नये नवेले राज्य में नेता प्रतिपक्ष के चुनाव में हुए हंगामें के दौरान पर्यवेक्षक बने नरेन्द्र मोदी के पलंग के नीचे छीपने की घटना को भूल गये हो लेकिन तब के बिरजू अग्रवाल इस घटना को नहीं  भूले हैं और परेशानी यह है कि कहीं नरेन्द्र मोदी भी इस घटना को नहीं भूले होंगे तब क्या होगा ।
बैस को बुखार...
कहते है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर नितिन गडकरी की फिर से ताजपोशी की खबर से अच्छे-अच्छे को बुखार चढऩे लगा है
 इनमें रायपुर के सांसद रमेश बैस का भी नाम लिया जा रहा है । कहते हैं कि कोल घोटाले में संचेती बुंधुओं की करतूत को लेकर रमेश बैस ने भी कुछ-कुछ बोल दिया था ऐसे में चुनावी टिकिट जब गडकरी के हाथ हो तो बुखार तो चढऩा ही है ।
मोहिले का बेटा
वैसे तो प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों के रिश्तेदारों की धौंस का नजारा अक्सर देखने को मिलता है । ऐसे में प्रदेश के खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहिले के पुत्र पद्मिनी मोहिले ने हंगामा किया तो कुछ अलग हट के नहीं किया । पिछले दिनों मंत्री पुत्र पद्मिनी ने अम्बेडकर अस्पताल में जमकर हंगामा किया हालांकि चर्चा यह भी है कि उन्हें हंगामा करने की कीमत भी चुकानी पड़ी और सुरक्षा गार्ड मंत्री पुत्र पर भारी पड़े लेकिन बाद मं सुपरवाइजर को निलंबित कर दिया गया अब इसे लेकर कोई यह कहे कि सत्ता का दंम चरम पर है तो क्या गलत है ।
डीजी की पसंद...
प्रदेश के नव नियुक्त डी जी रामनिवास यादव की कार्यशैली के कई चर्चे है 7 संत कुमार से जूनियर होने के बाद भी डी जी बने रामनिवास यादव को नई राजधानी रास नहीं आ रहा है तभी तो उनका ज्यादातार समय पुराने पुलिस मुख्यालय में ही गुजरता है कहने को तो हल्ला फस्र्टहॉमु में नई राजधानी में बैठने का है लेकिन सच क्या है यह सभी जान गये हैं । आखिर गुटबाजी भी तो यहां कम नहीं है ।
कर्मा का दुख...
कभी नेता प्रतिपक्ष जैसे पद पर रहे आदिवासी नेता महेन्द्र कर्मा इन दिनों अपनी घटती पूछ परख से परेशान है । विधानसभा चुनाव हारने के बाद बदले घटना क्रम ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है एक तरफ अजीत जोगी का बैर तो दूसरी तरफ भाजपा से कथित सेटिंग के आरोप से वे उबर ही नहीं पा रहे है ऐसे में ेेेविधानसभा की टिकिट की लेकर संशय दिखे तो दुख तो होगा ही ।
जिंदल पर मजबूर...
कोल घोटाले से लेकर जमीन हड़पने जैसे मामले में जिंदल ग्रुप की कथित संलिप्तता ने प्रदेश में कांग्रेस की दिक्कत बड़ादी है । हरियाण के इस कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल के उद्योग समूह के कारनामों को लेकर भले ही प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार पटेल कुछ नहीं बोल पा रहे हो लेकिन कांगे्रस के कई दिग्गज बेहद नाराज हैं वीसी शुक्ल ने तो उन्हें कांग्रेसी मानने से ही इंकार कर चुके ै जबकि भाजपा से जिंदल के गठजोड़ के किस्से कम नहीं है इसके बाद भी यदि कांग्रेस जिंदल को लेकर चुप है तो लोगों में क्या छवि बनेगी कहना मुश्किल नही है ।


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