सोमवार, 4 मार्च 2013

डॉ बांठिया के सरेण्डर का राज...



स्मार्ट कार्ड घोटाले में बुरी तरह फ़ंसे डॉ राजेन्द्र बांठिया को अंतत: पुलिस गिरफ़्तार नहीं कर पाई और डॉक्टर साहब ने आत्म समर्पण कर दिया। जेल में डॉक्टर साहब का क्या होगा वह तो बाद में पता चलेगा लेकिन जब सब कुछ सेट था तब उन्होने सरेण्डर क्यों किया इसे लेकर कई तरह की चर्चा है। कहा जा रहा है कि उनकी गिरफ़्तारी को लेकर मीडिया का दबाव बढ़ता ही जा रहा था और पुलिस को डॉक्टर साहब की सम्पत्ति कुर्की करने का फऱमान जारी करना पड़ा। संपत्ति कुर्की के फऱमान का असर भी हुआ और कहा जाता है कि डॉक्टर साहब जिस आका के  दम पर फऱारी काट रहे थे उन्होने भी हाथ खड़े कर दिए।
भोंदू का जेल में भी जलवा
शहर की सबसे बड़ी मस्जिद जामा मस्जिद के मुतवल्ली अब्दुल अजीम भोंदू को पुलिस ने गिरफ़्तार करके उसकी राजनीति का जुलूस जरुर निकाल दिया है लेकिन इस भाजपा नेता का प्रभाव कम नहीं हुआ है। तभी तो जेल से लेकर अस्पताल तक उसकी दबंगई के किस्से चौक चौराहों पर सुने जा सकते हैं। कहा जाता है कि जेल में भाजपाई होने का फ़ायदा तो मिल ही रहा है उसकी बात भी सबसे आसानी से हो जाती है। वैसे भी मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के खास बन चुके भोंदू की गिरफ़्तारी के पीछे कुछ न कुछ खेल है और इसका परिणाम आगे देखने को मिलेगा।
रमन का फ़्लाप शो...
अपनी साफ़ छवि के दम पर दूसरी पारी खेल रहे मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का ब्रह्मास्त्र क्या है यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन इन दिनों ने बने नौ जिलों में उनका रोड़ शो फ़्लाप साबित हो रहा है। कांग्रेस के विरोध के चलते प्रशासन की हालत खराब हो गई है और बढ़ती सुरक्षा के चलते आम आदमी की परेशानी भी कम नहीं है इसलिए रोड शो में सरकारी अमले और भाजपाई ही शामिल हो रहे है फिऱ बगैर सुविधाओं के जिलों से लोगों में नाराजगी भी कम नहीं है। अब तो भाजपाई भी कहने लगे हैं कि इस फ़्लाप शो का ईलाज कौन सा ब्रह्मास्त्र है।
मूणत की चुप्पी...
अपनी बदजुबानी के लिए विख्यात प्रदेश के उद्योग मंत्री राजेश मूणत को गुस्सा जल्दी आ जाता है और गुस्सा आता है तो वे उसे रोक भी नहीं पाते, ऐसे में जुबान से गालियां निकलना स्वाभाविक है। पिछले दिनों समता गृह निर्माण मंडल के कार्यक्रम में भी यही हुआ। लेकिन उन्होने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी इस गाली का असर इस तरह होगा कि उन्हे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कहा जा रहा है कि समता वाली घटना के दौरान बैस परिवार के एक सदस्य भी मौजूद थे और उन्होने मूणत के इस रवैये पर ऐसी बात कही कि मूणत को खामोशी ओढऩी पड़ी। आखिर इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव जो है।
मधुसूदन की मुस्कान ...
राजनांदगांव के सांसद मधुसूदन यादव इन दिनों मुस्कुराते नहीं थकते तो इसकी वजह मुख्यमंत्री रमन सिंह से सीधी पैठ को बताया जा रहा है। कहा जाता है कि मधुसूदन की इस मुस्कान ने अच्छे अच्छों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर अपने को बड़ा नेता मानने वालों की नींद ही गायब हो गई है। शिक्षा कर्मियों के मामले में मधुसूदन को हीरो बनाकर मुख्यमंत्री ने अपने विरोधियों को यह जता दिया है कि वे किसी को भी हीरो बना सकते हैं और यही वजह है कि मधुसूदन यादव की मुस्कान से कई नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। कहा जाता है कि रमेश बैस, सरोज पांडे, नंदकुमार साय जैसे सांसदों पर अप्रत्यक्ष हमला कर मुख्यमंत्री ने अपना उद्देश्य भी बता दिया है।
राम निवास की दिक्कत...
यह तो सिर मुडाते ही ओले पडऩे वाली कहावत को चरितार्थ करता है वरना यादवी ब्रिगेड के हीरो रामनिवास को डी जी बनने के बाद हाईकोर्ट से यह सब सुनने नहीं मिलता। कोर्ट में  पहुंच कर व्यवस्था सुधारने का वादा कर चुके डी जी के सामने सबसे बड़ी दिक्कत तो पी एच क्यू में व्याप्त गुटबाजी है। इसके अलावा राजनैतिक दबाव से थाने में जमे थानेदारों की करतूत भी कम नहीं है। राजधानी में चार साल से जमे पुलिस कप्तान सहित कई अधिकारियों के कारनामों पर भी वे खुश नहीं हैं। ऐसे में उनकी कितनी चलती है यह सवाल उठना स्वाभाविक है।
सुनील कुमार की पीड़ा...
अपनी ईमानदार छवि को लेकर मुख्य सचिव के पद तक सफऱ करने वाले सुनील कुमार इन दिनों अखबारों से भी दुखी हैं और उनकी पीड़ा गांधी जी की पूण्य तिथि के दिन होठों से निकल ही गई। मंत्रालय के निरीक्षण करते मुख्य सचिव महोदय छज्जा गिरने वाले लेखा शाखा में पहुंचे और अधिकारियों ने जब खास नुकसान नहीं होने की जानकारी दी तो वे बोल पड़े, नुकसान से ज्यादा अखबारों में प्रकाशित हो गया। अब मुख्य सचिव महोदय को कौन समझाए कि छज्जा गिरना भी बड़ी खबर है वह भी तब जब मंत्रायल को बने ज्यादा दिन नहीं हुए हैं।

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