सोमवार, 4 मार्च 2013

अभिषेक की सक्रियता...


मुख्यमंत्री रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह ने भाजयुओं के तीन दिवसीय सम्मेलन में जिस तरह से तीनों दिन सक्रियता दिखाई उसके बाद तो उनके राजनीति की चर्चा शुरू हो जाना स्वाीााविक है । वैसे अभिषेक सिंह की सक्रियता तो राजनांदगांव में पहले से ही है और उनके द्वारा मोर्चा संभालने की भी चर्चा है लेकिन भाजयुओं के सम्मेलन में उनकी सक्रियता का अलग ही मतलब निकाला जा रहा है और कहा जा रहा है कि क्योंकि इस सम्मेलन के आखरी दिन मुख्यमंत्री का पूरा परिवार पत्नी वीणा सिंह, पुत्रवधु एश्वर्या सिंह, पुत्र अभिषेक सिंह भी मौजूद थे । आम तौर पर इतने बड़े राजनैतिक सम्मेलनों पर बहुत कम नेताओं के पूरा परिवार मौजूद होता है ।
बत्ती वाले लाल से पीले हो रहे ...
कहने को तो मुख्यमंत्री रमन सिंह के अपने विधानसभा क्षेत्र के बड़े नेताओं को खुश करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है यहां से लीलाराम भोजवानी, अशोक शर्मा और खूबचंद पारख को लालबत्ती दी है लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है असंतोष बढ़ता ही जा रहा है । कहा जाता है कि मुख्यमंत्री के द्वारा राजनांदगांव से ही चुनाव लडऩे की घोषणा का सबसे ज्यादा असर इन तीनों लालबत्ती धारियों पर हुआ है । लालबत्ती के सहारे विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे इन तीनों नेतओं की मौहें तन गई है भले ही पार्टी अनुशासन के चलते कोई कुछ बोल नहीं रहा है लेकिन कहा जा रहा है कि अपनी लालबत्ती के साथ वे दूसरी लालबत्ती को भी बुझाने की तैयारी में है ।
किरण की दिक्कत...
राजधानी के महापौर किरणमयी नायक की दिक्कतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है । महापौर के साथ यह दिक्कत तो उनके जीत के साथ ही तब शुरू हो गई थी जब उन्होंने सभापति चुनाव में गैट छत्तीसगढिय़ा का नारा बुलंद करने वाली किरणमयी नायक के पद पाते ही बदले आप से कई छत्तीसगढिय़ा नाराज है और उनके द्वारा अपनी अनुपस्थिति में प्रभारी महापौर बनाने को लेकर भी छत्तीसगढिय़ों में आक्रोश है । जबकि गैर छत्तीसगढिय़ा नेता उन्हें फूंटी आंख नहीं भाते । और कांग्रेस के भीतर भी उनके खिलाफ आक्रोश भी जबरदस्त है । अभी वे सभापति के अविश्वास प्रस्ताव के मामले से उबर भी नहीं पाई है कि सरकारी बंगले में डेयरी संचालन का मामला सामने आ गया । कहा जाताह है कि इस बार गैर छत्तीसढिय़ों ने उन्हें घेरने पूरी तैयारी कर ली है और उन्हें बर्खास्त करने की मांग तक कर रहे हैं । ऐसे में उनकी स्थिति इधर कुआं उधर खाई की हो गई है कहा जाय तो गलत नहीं होगा ?

मूणत का प्रबंधन और गुस्सा ...
तीन दिवसीय भाजयुओं सम्मेलन के प्रबंधन में राजेश मूणत के कोई कमी नहीं की । लाखों रूपये खर्च कर तमाम तरह की सुविधाएं जुटाई गई और किसी चीज की कमी नहीं होने की गई । यहां तक कि कार्यकर्ताओं से उनका व्यवहार भी देखने लायक था लेकिन आदत से लाचार मूणत का सब्र आखरी दिन टूट गया और राजनाथ के स्वागत के लिए कार्यकर्ताओं में मची होड़ से वे अपनी जुबान पर काबू नहीं रख पाये । मंच से ही वे कार्यकर्ताओं को फटकार लगाने लगे । यानी अनुशासन वाली पार्टी में भी अनुशासन तार-तार होता है । तभी तो एक कार्यकर्ता को कहना पड़ा सुन लो भाई खर्चा तो इन्ही ने किया है ।

सुषमा की नसीहत ...
भाजयुओं के सम्मेलन में पहुंची लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भाजपाईयों को जमीन से जुड़कर काम करने की नसीहत दे डाली जबकि यहां के भाजपाई तो इस नसीहत पर पहले से ही चल रहे है । जमीन के कारोबार ही नहीं बल्कि सरकारी जमीन हड़पने का खेल भी खूब चल रहा है । ऐसे में सुषमा स्वराज की नसीहत को लेकर चर्चा यह है कि कहीं जमीन से जुडऩे वालें की वजह से पार्टी को शिकस्त न मिल जाए ।
बाम्बरा का खेल ...
अपनी चालबाज छवि के लिए चर्चित पुलिस अधिकारी जी एस बाम्बरा अपने रिटायर्टमेंट के बाद भी यदि विभाग की नौकरी पर बने हुए है तो यह उनकी अपनी योग्यता ही है । गोटीबाजी में माहिर बाम्बरा की चाल में उनके कट्टर विरोधी भी फंस जाते हैं तभी तो पिछले दिनों पत्रकारों की पिटाई के मामले में उन्होंने एक पुलिस अधिकारी को बदनाम करने से भी नहीं चूकें और जब देखा कि पुलिस अधिकारी का कुछ नहीं बिगड़ रहा है तो पत्रकारों को झूटी खबर देकर अपनी चालबाजी से बाज नहीं आये ।

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