सोमवार, 4 मार्च 2013

सोनी की सीनाजोरी,,,


वैसे तो राविप्रा अध्यक्ष सुनील सोनी अपने को विवादों से दूर रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते। तोल मोल के बोल की तर्ज पर राजनीति करने वाले सूनील सोनी के हर बोल के पीछे राजनीति छुपी होती है। श्यामाचरण शुक्ल पर हमला का मामला हो या रविभवन का मामला हो, कमल विहार से लेकर फ्ऱी होल्ड तक उनके एक एक शब्द के पीछे की राजनीति बहुत कम लोग ही समझ पाते हैं।
इस बार फ्ऱी होल्ड के मामले में निगम की एनओसी को खारिज कर दिया गया कि टैक्स वसूली का काम निगम का है। कहा जाता है कि महापौर के पत्र को खारिज करने के पीछे किरण बिल्डिंग का मामला हो सकता है।

ननकी की नसीहत

अपनी बेबाक बयानी के लिए चर्चित प्रदेश के गृहमंत्री ननकी राम कंवर जब भी मुंह खोलते हैं विवादों में पड़ जाते हैं। ताजा मामला महिलाओं को उनकी नसीहत का है। ननकी राम कंवर अवैध शराब बिक्री से परेशान हैं और वे इसके खिलाफ़ अपनी पीड़ा विधानसभा में भी यह कहकर व्यक्त कर चुके हैं कि शराब ठेकेदारों के इशारे पर थाने चल रहे हैं।
वैसे पुलिस पर भरोसा नहीं होने की वजह से उन्हे अपना स्क्वाड तक बनाना पड़ा था और अब वे महिलाओं को अवैध शराब के खिलाफ़ न केवल कमर कसने की नसीहत दे रहे हैं बल्कि लाठी उठाने लिए तैयार रहने को कह रहे हैं। अब उनकी सलाह पर महिलाओं ने लाठी उठाई तो क्या होगा?
नादान नंदू
यह बात तो प्रदेश का अदना सा कांग्रेसी भी जानता है कि नंद कुमार पटेल कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जरुर बन गए हैं लेकिन उनसे ज्यादा जोगी, वोरा, महंत ही नहीं कई और नेताओं की दिल्ली में चलती है। तभी तो उनकी नाराजगी का कार्यकर्ताओं पर कोई असर नहीं दिखता उल्टे दिल्ली से आने वाले मंत्री उनके किए कराए पानी फ़ेर देते हैं। ऐसे में नंदकुमार पटेल को गुस्सा आना स्वाभाविक है। यही वजह है कि वे इस बार नए सिरे से अपने विरोधियों पर दबाव बनाने की नादानी कर रहे हैं।
शाबास पिल्ले
भाजपा शासन काल में अग्रवाल अफसर के घर छापा,मारना किसी अचरज से कम नहीं है। लेकिन 
88 बैच के साफ और सौम्य छबि के आईपीएस संजय पिल्ले को जब ईओडब्लू और एसीबी की कमान सौंपी गई थी, तो लोगों को लगा था अब छापे और ट्रेप में कमी आ जाएगी। मगर पिल्ले, तो पूर्ववर्ती ईओडब्लू चीफ दुर्गेश माधव अवस्थी से भी एक कदम आगे निकल गए। महीने भर के भीतर ही बड़ा निशाना बनाया। 10 करोड़ी अफसर को पकड़ा, डिप्टी कमिश्नर कामर्सियल टैक्स शंकरलाल अग्रवाल को। अब उनके निशाने पर कौन है यह चुनावी साल में वे भी इशारे पर काम करेगें ।
दिग्गज की नजर
वैसे तो कांग्रेस में दावेदारी नई बात नहीं है लेकिन जैजैपुर के विधायक महंत रामसुंदर दास की  सीट पर कांग्रेस के एक दिग्गज नेता की नजर गड़ गई है। नेताजी अपनी अद्र्धांगिनी को इस सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। जैजैपुर सामान्य सीट है और इस समय कांग्रेस के लिए सबसे मुफीद समझी जा रही है। सो, नेताजी को और क्या चाहिए। महंतजी को, उनके लोगों के जरिये समझाने की कोशिश की जा रही है कि जैजैपुर की जगह चांपा या सक्ती में से जहां चाहे, उन्हें टिकिट दिलवा दी जाएगी। पर, महंतजी इसके खतरे से अनभिज्ञ नहीं हैं। फिर, वे जैजैपुर से दूसरी बार विधायक हैं। और तीसरी बार में भी कोई दिक्कत नहीं है। खुदा-न-खास्ते कांग्रेस कहीं आ गई, तो महंतजी मंत्री पद के प्रबल दावेदार होंगे। ऐसे में मना करने के अलावा उनके पास चारा क्या था। मगर नेताजी के लोग कहां मानने वाले। महंतजी के कार्यकर्ताओं को तोडऩे का काम चालू हो गया है। अब देखना है, महंतजी झुकते हैं या नेताजी। 
बोरा की खुशी
गर्भवती महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री द्वारा महतारी एक्सप्रेस चलाने की योजना का ऐलान करने पर सयसे अधिक कोई खुश है, तो वे हैं आईएएस सोनमणि बोरा। यह कांसेप्ट मूलत: बोरा का था और इसके लिए उन्हें यूनिसेफ से जमकर सराहना मिली थी। 2010 में बोरा जब बिलासपुर के कलेक्टर थे, तब उन्होंने महतारी एक्सप्रेस चलाई थी। इसके लिए टोल फ्री नम्बर 102 रखा गया था। सरकारी वेबसाइट पर नजर डालें, तो इस योजना का सर्वाधिक लाभ दूरस्थ और आदिवासी इलाके की महिलाओं को मिला था। तब बिलासपुर का संस्थागत प्रसव 17 से बढ़कर 54 फीसदी पहुंच गया था। अब राज्य सरकार ने इसे एडाप्ट कर लिया है। जाहिर है, इससे बोरा का नम्बर बढ़ा है। बोरा अभी हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर के साथ ही डीपीआर हैं।
फेरबदल का चक्कर
एसपी की सर्जरी अभी और आगे टल सकती थी। मगर बालोद में सीएम के रोड शो में काला झंडा की वजह से एसपी के लिस्ट पर विचार शुरू हो गया है। और खबर, तो यहां तक है, 14-15 को आदेश निकल सकते हैं या फिर 20-21 को लगभग तय मानिये। सिर्फ सीएम की अति व्यस्तता की वजह से इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो पा रहा है। जाहिर है, सूची में बालोद एसपी डीएल मनहर का नाम, एक नम्बर पर रहेगा। उसके बाद, रायपुर, रायगढ़, जांजगीर जैसे दर्जन भर से अधिक जिले होंगे। दावा ऐसा भी है कि रमन सरकार के नौ साल में एसपी लेवल पर यह सबसे बड़ा फेरबदल होगा। 27 में से आधे से अधिक जिले के एसपी बदल जाएंगे। इसकी वजह यह है कि मुख्यमंत्री एसपी के पारफारमेंस से खुश नहीं हैं। दूसरा, इस साल चुनाव भी है। रही राजधानी रायपुर की बात, तो किसी मैच्योर परसन को यहां की कमान सौंपी जाएगी। या तो रायगढ़ के एसपी आनंद छाबड़ा प्रोन्नत होकर एसएसपी बनेंगे या फिर बिलासपुर के रतनलाल डांगी को मौका दिया जाएगा। एसपी के रूप में डांगी का बिलासपुर चैथा जिला है। इसके अलावा रायपुर के लायक कोई आईपीएस सरकार को नहीं दिख रहा। तमिलनाडू कैडर से डेपुटेशन पर आई सोनल मिश्रा का नाम जरूर उछला था, मगर सरकार को नया चेहरा हजम नहीं हो रहा है। 

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