सोमवार, 4 मार्च 2013

रमन अपने में मगन


अपनी साफ छवि के दम पर सत्ता की दूसरी पारी खेल रहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को इस बार भी हैट्रिक का भरोसा है तो इसकी वजह विपक्ष का बिखराव व कमजोर हमला है । तभी तो कोयले की कालिख पर जुबान खोलने वाले पार्टी के नेता चुप है । रोगदाबांध पर भी कोई नहीं बोलता, बाबूलाल अग्रवाल भी महत्वपूर्ण पद पर बने हुए हैं । भ्रष्टाचार से लेकर बलात्कार के मामले शर्मनाक स्थिति में पहुंचने के बाद भी सरकार के माथे पर सिकन नहीं है । शासकीय कर्मियों व शिक्षा कर्मियों का आन्दोलन चरम पर है । चुनावी साल में मंत्री-विधायक अपनी जीत के लिए लग गए हैं यानी उनकी तरफ से भी कोई परेशानी नहीं । मंत्रालय भी शहर से दूर कर दिया गया है यानी आम आदमी भी आसानी से नहीं पहुंच पा रहे हैं । और पार्टी कार्यकर्ताओं को समझा दिया गया है कि पार्टी सत्ता में रहेगी तभी उन्हें मलाई खाने मिलेगा ।
अमर का विदेश प्रेम...
प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल का विदेश प्रेम इन दिनों चर्चा में है । कहा जाता है कि जब भी वे विदेश यात्रा का प्लान बनाते है कोई न कोई ऐसा मामला आ जाता है जिससे उनका विदेश प्रवास विवादों में पड़ जाता है ।
इस बार भी आंख फोड़वा कांड की वजह से उनकी विदेश प्रवास विवादों में पड़ गया । सरकार को जवाब देते नहीं बन रहा था ।
अब तो लोग कहने लगे है कि जब से स्वास्थ्य विभाग संभाले हैं कुछ न कुछ हो ही रहा है । गर्भाशय कांड से लेकर आंखफोड़वा कांड का जवाब देना वैसे भी मुश्किल है ऐसे में विदेश प्रेम कहीं भारी न पड़ जाए ।
लता की परेशानी ...
नक्सलियों से संबंध के आरोप से परेशान प्रदेश सरकार की एक मात्र युवा महिला मंत्री लता उसेंडी की दिक्कत थमने का नाम ही नहीं ले रहा है । इधर नक्सलियों से संबंध का आरोप तो खेल विभाग में शराब ठेकेदार के बढ़ते हस्तक्षेप ने उनकी मुसिबत और बढ़ा दी है । आजकल हर आयोजन में शराब ठेकेदार की मंच पर उपस्थिति से वे हैरान ही नहीं परेशान भी है लेकिन शराब ठेकेदार की मुख्यमंत्री से सीधे संबंध होने के कारण वे कुछ बोल नहीं पा रही है । लेकिन इसके दुस्परिणाम ने उनकी चिंता जरूर बढ़ा  दी है ।
पटेल  की दुविधा...
गृह मंत्री जैसे पद पर रहने वाले प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नंद कुमार पटेल की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि उन्हें आज भी कोई नेता नहीं मानता, प्रदेश में जब भी नेताओं की गिनती होती है जोगी वीसी और वोरा के नाम की ही चर्चा होती है ऐसे में आन्दोलन का प्रभाव भी उतना नहीं पड़ रहा है और भाजपा से सेटिंग की चर्चा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है । ये अलग बात है कि वे पूरी ताकत से भाजपा के खिलाफ रण्नीति बना रहे है लेकिन मामला फिर वहीं का वहीं रह जाता है यानी रात भर चले अढ़ाई कोस ।

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