सोमवार, 4 मार्च 2013

राजेश का रौब


अपनी गंदी जुबान के लिए चर्चित प्रदेश के उद्योग मंत्री राजेश मूणत के लिए नतो गाली गलौज करना नई बात है और न ही बाहें चढाना भी नई बात है। यही वजह है कि इनकी करतूत पर विधानसभा तक में सरकार को शर्मिन्दा होना पड़ा।
लगता है कि इसके बाद भी न तो उन्हे मंत्री बनाने वाले को कोई फ़र्क पड़ा है और न ही राजेश मूणत के व्यवहार में ही बदलाव आया है। तभी तो पिछले दिनों समता गृह निर्माण सोसायटी के कार्यक्रम में  वे सोसायटी के मैनेजर शैलेष मिश्रा से सीधे गाली गलौज पर उतर आए। इनके मुखारविंद से निकलने वाले अपशब्द सुनकर वहाँ उपस्थित लोग नाराज हुए बिना नहीं रह सके। जबकि भाजपा के सांसद रमेश बैस के एक रिश्तेदार ने तो इस पर कड़ी आपत्ति करते हुए मुख्यमंत्री से मिलने तक की बात कही है। अपनी कड़ूवी जुबान को लेकर मूणत कहाँ क्या बका है इसे लेकर अब उन्हे बुलाने वालों को भी सोचना पड़ेगा।
चरण की चालाकी
केन्द्र सरकार में छत्तीसगढ के इकलौते मंत्री चरणदास महंत की चतुराई की चर्चा इन दिनों जोरों पर है।  चित्त भी मेरा, पट भी मेरा, अंटी मेरे ज्ज् की तर्ज पर वे जहां मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं तो दूसरी तरफ़ राज्य सरकार से भी वे पंगा लेने के पक्ष में नहीं है। तभी तो जब छत्तीसगढ के कांग्रेसी आन्दोलित है और रमन सरकार के नाक में दम कर रखा है। सरकार की करतूतों की वजह से दूरी बनाई जा रही है तब डॉ चरण दास महंत का सीएम हाऊस में जाकर रमन सिंह से मिलना चर्चा में है।
रामविचार का "कुत्ता"
यह सत का दंभ नहीं तो और क्या है? राजनीति में विरोधियों के खिलाफ़ राजनैतिक सूचिता की दुहाई देने वाली पार्टी के मंत्री ही जब विरोधियों पर अपशब्द कहें तो समझा जा सकता है कि छत्तीसगढ में राजनीति कहाँ की जा रही है।
कहा जाता है कि आदिवासी मुहिम चलाकर कभी मुख्यमंत्री का सपना संजोने वाले प्रदेश सरकार के मंत्री रामविचार नेताम इन दिनों खुद की जमीन खिसकते देख बौखला गए हैं तभी तो वे आदिवासी आश्रम में हुए बच्चियों के दुष्कर्म पर न्याय मांगने वाले को कुत्ते तक कह दिया। बालोद में दिए इस बयाने को लेकर भाजपा खुद पेशोपश में है।
बैस की नकेल
रायपुर के सांसद रमेश बैस जी जब ज्यादा बोलने लगते हैं  तो नागपुर से लेकर दिल्ली तक गुंज सुनाई देती है। लगता है इसलिए आलाकमान उनकी नकेल अपने हाथ में रखता है। अब बैस जी भी क्या करें। मुख्यमंत्री बनने का सपना तो अभी सपना ही है और मुंह से कुछ बोलो तो अनर्थ हो जाता है।
अब कोयला कांड में जब वे गुस्सा हुए तो बयान वापस लेना पड़ा। कमल विहार मामले में भी उन्हे अब किसी का दुख नहीं दिखता और आदिवासी आश्रम में बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म पर भी वे बोले तो विवाद में फ़ंस गए। ऐसे में नकेल नहीं कसा जाएगा तो क्या होगा?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें