सोमवार, 4 मार्च 2013

प्रतिज्ञा में फ़ंसे ठाकुर


महाभारत में बार-बार चेताया गया है कि बिना सोचे समझे प्रतिज्ञा या संकल्प मत करो। इसी प्रतिज्ञा के चलते भीष्म पितामह न केवल कुंवारे रह गए बल्कि जिन्दगी भर रोते रहे और दूर्योधन जैसे दुष्ट का साथ देना पड़ा। ऐसी जिद वाली प्रतिज्ञा के चलते अर्जुन की आग में जलकर प्राण त्यागने की नौबत आ गई थी वह कृष्ण की चतुराई से जयद्रथ दिन ढलने से पहले मारा गया। ये बात हिन्दुत्व की दुहाई देने वाली पार्टी के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को समझ नहीं आई या वे महाभारत नहीं पढ पाए, ये तो वही जाने। लेकिन ऐसी ही प्रतिज्ञा याने संकल्प के चलते शिक्षाकर्मी और 270 रुपए बोनस नहीं पाने वाले किसान नाराज हो गए हैं। तो अब ठाकुर की ठकुराई का क्या होगा? भाजपा की चिंता स्वाभाविक है।
पटेल की परेशानी
जब से अजीत जोगी गुट को छोड़कर प्रदेश कांग्रेस का ताज अपने सिर लिया है नंदकुमार पटेल की मुसिबत थमने का नाम ही नहीं ले रही है। एक तरफ़ भाजपा से कांग्रेसियों की सेटिंग की खबर से हैरान है तो दूसरी तरफ़ नेता प्रतिपक्ष से पटरी बिठाने की जिम्मेदारी बढने लगी है। कहा जाता है कि अजीत जोगी, मोतीलाल वोरा और विद्याचरण शुक्ल को खुश रखने के की कवायद में कई बार वे दुखी हो जाते हैं। जबकि भाजपा के खिलाफ़ दमदार प्रदर्शन के बाद भी उन्हे महंत के सामने कमजोर समझा जाता है।
ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष द्वारा चुनाव नहीं लडऩे के फऱमान ने उनकी चिंता बढा दी है। ऐसे में सीएम का सपना कहां जाएगा यह कम चिंतनीय नहीं है।
सिघानिया की चालाकी
रायपुर शहर से विधानसभा चुनाव हारने के बाद कसडोल के विधायक राजकमल सिंघानिया को यह बात समझ में आ गई थी कि चाहे जितना भी पैसा खर्च कर लो शहर में उनकी अपनी छवि के चलते जीत नहीं हो सकती। तभी तो चालाकी से न केवल कसडोल से टिकिट हासिल कर ली बल्कि दो बार विधायक भी बन गए। कहते हैं की दूध का जला छाछ को फ़ूंक-फ़ूंक कर पीता है। तभी तो वे कांग्रेस के कलेक्टर घेराव प्रदर्शन से दूर तब तक रहे जब तक किसान मोर्चा का प्रदर्शन खत्म नहीं हो गया। वे जानते थे कि किसान मोर्चा में प्रदर्शन करने वाले राजकमल सिंघानिया की छवि अच्छे से बनाएगें और रामगुलाम ठाकुर ने किया भी वही। बाद में दशरथ वर्मा के घर में बैठकर अपनी उपस्थिति की चालाकी कर गए।
सीएस की स्वीकारोक्ति
अपनी साफ़ सुथरी और ईमानदार छवि के लिए विख्यात प्रदेश के सीएस यानी मुख्य सचिव सुनील कुमार को आखिर हाईकोर्ट जाना ही पड़ गया। राज्य में रमन सरकार की करतूतों की वजह से अफ़सरशाही हावी है। भ्रष्टाचार में गले तक डुबे अफ़सरों को सरकार का सीधा सरंक्षण है, यही वजह है कि आम आदमी अफ़सरशाही से त्रस्त है ही न्यायालय भि अफ़सरों के रवैये से हैरान है। तभी तो न्यायालय को मुख्य सचिव को तलब करना पड़ा। पदोन्नति से लेकर तबादलों में मनमानी चरम पर है और सरकार के मंत्री इस पर ध्यान नही दे रहे हैं। इसलिए लोग न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर हैं। अब न्यायालय ने जब इसे संज्ञान में लिया तो मुख्य सचिव ने न केवल गलती स्वीकारी बल्कि दोबारा शिकायत का मौका नहीं देने का वादा भी किया है। देखना है आगे क्या होता है।
कंवर का कहर...
अपने बेबाक बोलों से से हमेशा ही सुर्खियों में बने रहने वाले प्रदेश के गृहमंत्री ननकी राम कंवर के कहर से न मुख्यमंत्री बच पाए हैं और नही पुलिस निदेशक बचे हैं। इस बार उनके निशाने पर अधिकारी रहे। बैंक शाखा में कोर बैंकिंग की शुरुवात करने पंडरिया पहुंचे कंवर ने बैंकों के द्वारा गैर किसानों को लोन देने के मामले में कहा कि किसान बेईमान नहीं होता और न ही जनता बेईमान होती है। बेईमान तो अधिकारी होता है।
कंवर साहब नेताओं की बेईमानी का क्या होगा ? आखिर राजकुमार नायड़ू जैसे आरोपी अफ़सर को संरक्षण किसने दिया था ?
मोहिले भी भयभीत
लोकसभा छोड़ विधानसभा में जीत हासिल करने के वाले सतनामी समाज के नेता और प्रदेश के खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहिले पिछली बार जितने निश्चिंत थे वैसे बेफ्ऱिकी अब नहीं दिखाई पड़ रही है। सतनामी समाज आरक्षण से कटौती के चलते भाजपा सरकार से नाराज है और जिस तरह से उन्हे समाज के लोगों से सुनना पड़ रहा है उससे वे बेहद परेशान बताए जा रहे हैं। भले ही रमन सरकार चुनावी बजट में सतनामी समाज को खुश कर दे, लेकिन फि़लहाल तो चिंता की रेखाएं पुन्नुलाल मोहिले के चेहरे पर स्पष्ट देखी जा सकती हैं।
रामविचार का दुर्भाग्य
प्रदेश सरकार के जलसंसाधन मंत्री रामविचार नेताम जब भी अपनी ताकत बढाने की सोचते हैं तब कुछ न कुछ गडग़ड़ हो जाती है। मुख्यमंत्री बनने की कोशिश पहले ही पकड़ ली गई तो पत्नी के जिला पंचायत में विवाद से उनकी छवि पर असर पड़ा। पंचायत विभाग छोड़ कर जलसंसाधन विभाग पहुंचे तो घपलेबाजी ने उनकी मिट्टी पलीद करना शुरु कर दिया। बेचारे नेताम जी नमाज माफ़ कराने गए तो रोजे गले पड़ गए की तर्ज पर मैनपाट कार्निवल के अश्लील नाच में फ़ंस गए। मैनपाट कार्निवल में विदेशी पर्यटकों को लुभाने की कोशिश इतनी भारी पड़ी कि अब वे सफ़ाई देते घुम रहे हैं कि यह उनका कार्यक्रम नहीं बल्कि बृजमोहन अग्रवाल के विभाग का कार्यक्रम था। अब अश्लील डांस तो हुआ है और तालियाँ भी बजाई गई है तो इस मजे की सजा भी जरुरी है।

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